रूटो की राय है कि जून 2023 तक इस तरह की सब्सिडी से देश को 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होगा, जो कि केन्या का संपूर्ण विकास बजट है। उनका यह भी मानना है कि सब्सिडी का प्रावधान जीवन यापन की लागत को कम करने के उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहा है।
रुतो पिछले महीने मुश्किल से चुनाव जीत पाए और उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्रियों को भी नियुक्त नहीं किया। इस तरह के कदम से देश में उनके राष्ट्रपति पद को खतरा हो सकता है। हालांकि, चुनाव प्रचार के दौरान उनका आख्यान नौकरियों के सृजन और जीवन यापन की लागत को कम करके नागरिकों के जीवन में सुधार करना था।
वह आटे पर सब्सिडी को नवीनीकृत करने के के बजाय, उर्वरक की लागत को कम करना चाहते हैं जिसके परिणामस्वरूप देश में मक्के का उत्पादन बढ़ेगा। वह ट्रांसपोर्टरों और निर्माताओं और ग्रामीण परिवारों की मदद के लिए डीजल और मिट्टी के तेल पर छोटी सब्सिडी जारी रखना चाहते हैं।
यह नीति केन्या और राष्ट्रपति रुतो के पक्ष में काम करेगी या नहीं ये तो कई अन्य कारकों पर निर्भर करेगा। हालांकि, इस बात की संभावना है कि लंबी अवधि में इससे देश को मदद मिल सकती है, क्योंकि इस तरह की सब्सिडी आमतौर पर गरीब परिवारों के बजाय अमीरों को फायदा पहुंचाती है।
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